मास्टर परिपत्र - नोटों तथा सिक्कों को बदलने की सुविधा - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र - नोटों तथा सिक्कों को बदलने की सुविधा
आरबीआइ/2010-11/102 01 जुलाई 2010 अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक महोदया / महोदय मास्टर परिपत्र - नोटों तथा सिक्कों को बदलने की सुविधा कृपया नोटों तथा सिक्कों के विनिमय की सुविधा संबंधी 5 जुलाई 2002 के हमारे मास्टर परिपत्र डीसीएम (नोट विनिमय) सं.जी-2/08.07.18/2002-03 का संदर्भ लें, हम इसके साथ इस मामले में हुए परिवर्तनों को सम्मिलित करते हुए इस विषय पर संशोधित मास्टर परिपत्र की एक प्रति सूचना एवं आवश्यक कार्रवाई हेतु आपको प्रेषित कर रहे हैं। यह मास्टर परिपत्र हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in पर उपलब्ध है । भवदीय ( रा. गांधी ) बैंक शाखाओं में नोट/सिक्कों के विनिमय की सुविधा 1.(क) पूरे देश में सभी बैंक शाखाओं से अपेक्षित है कि वे जनसाधारण को निम्नलिखित ग्राहक सेवाएं अधिक तत्परता और कारगर ढंग से प्रदान करें ताकि उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालयों में केवल निम्नलिखित प्रयोजनों हेतु न आना पड़े । I. नए / अच्छी हालत के सभी मूल्यवर्ग के नोटों तथा सिक्कों के लिए। II. गंदे नोट बदलने के लिए और। III. लेनदेन अथवा नोट बदलने व सिक्के लेने के लिए। (ख) सभी निर्दिष्ट बैंक शाखाएं क्षतिग्रस्त/विकृत नोटों के विनिमय की सुविधा प्रदान करें। ऐसी सभी बैंक शाखाओं के नाम और उनके पतों का, आम आदमी के जानकारी के लिए ट व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाये। (ग) कोई भी बैंक शाखा/स्टाफ काउन्टरों पर प्रस्तुत किए गए छोटे मूल्यवर्ग के नोट और /या सिक्के लेने से मना न करे। भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 2009 सम्पूर्ण शक्तियों का प्रत्यायोजन 2. (क) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 58(2) के साथ पठित धारा 28 के अनुसार कोई भी व्यक्ति भारत सरकार द्वारा जारी करेंसी नोटों या बैंकनोटों में से किसी गुम हो चुके, चोरी हो गये, विकृत या अपूर्ण करेंसी नोट का मूल्य भारत सरकार अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक से अधिकार के तौर पर वसूल करने का पात्र नहीं हे। तथापि , वास्तविक मामलों में जनता को कठिनाई से बचाने के प्रयोजन से यह प्रावधान किया गया है कि केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति से भारतीय रिज़र्व बैंक उन परिस्थितियों तथा उन शर्तों और परिसीमाओं का निर्धारण कर सकता है, जिनके अनुसार ऐसे करेंसी नोटों या बैंक नोटों का मूल्य एक अनुग्रह के रूप में दिया जा सके । (ख) जनता के लाभ और हित की दृष्टि से यह सुविधा प्रदान करने हेतु बैंकों की निर्दिष्ट शाखाओं को कटे-फटे /गंदे /विकृत नोटों का अधिनिर्णयन करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 2009 के अनुसार प्राधिकृत किया गया हैं ।वर्तमान में चेस्ट शाखाओं को इस उद्देश्य के लिए निर्दिष्ट किया गया है। कटे नोटों की सरल परिभाषा 3. निम्नलिखित प्रकार के गंदे और कटे-फटे नोटों को मुक्त रूप से सभी बैंक शाखाओं द्वारा बदला जाए ताकि नोट बदलने की सुविधा प्रदान करने में तेजी आ सके । सरकारी देनदारी चुकता करने के लिए या बैंक के काउन्टरों पर अपने खातों में जमा करने के लिए जनता द्वारा प्रस्तुत किए जाने पर भी ये नोट स्वीकार किए जाएं। I. एकल नंबर वाले नोट - 1 रुपया, 2 रुपये और 5 रुपये प्रस्तुत किए गए नोट के दो से अधिक टुकड़े न हों । नोट की कोई अनिवार्य विशेषता गायब न हो । II. दोहरे नंबर वाले नोट - 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये , 100 रुपये, 500 रुपये और 1000 रुपये प्रस्तुत किए गए नोट दो से अधिक टुकड़े में न हों । नोट की कोई अनिवार्य विशेषता गायब न हो । नोट के दोनों टुकड़े एक ही नोट के हों । उपयुक्दत प्रकार के नोटों को गंदे नोटों के रूप में माना जायेगा और इन्हें गंदे नोटों के साथ रखा जाए। इस प्रकार के चलन में न लाने योग्य नोटों को किसी भी हाल में पुन: जारी करने योग्य नोटों के रूप में जनता को फिर से जारी न किया जाए बल्कि इन्हें करेंसी चेस्ट - प्रेषण के रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यालयों को भेजने हतु मुद्रा तिजोरियों में जमा कर दिया जाए । विरूपित नोट - प्रस्तुत एवं पास किया जाना 4. ‘विरूपित नोट’ का अभिप्राय ऐसे नोट से है जिसका कि एक हिस्सा गायब हो अथवा जिसे दो टुकडों से अधिक टुकडे व्यवसायिक बैंकों की नामित शाखाओं में प्रस्तुत किए जा सकते हैं । ’विरूपित नोट’ भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 2009 के तहत बनाए गये उल्लिखित नियमों के अनुसार पारित किए जा सकते हैं। अत्यधिक खस्ताहाल, जले, टुकड़े-टुकड़े, चिपके हुए नोट. 5. ऐसे नोट जो बहुत ही खस्ताहाल हों या बुरी तरह से जल गए हों, टुकड़े - टुकड़े हो गए हों अथवा आपस में बुरी तरह से चिपक गए हों, और इस वजह से वे अब सामान्यतया उठाने-रखने लायक न रह गए हों तो बैंक शाखाएँ ऐसे नोटों को बदलने के लिए न लें । ऐसे नोटों को बदलने के लिए लेने के बजाए धारक को सलाह दी जाये कि वह इन नोटों को भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित निर्गम कार्यालय में प्रस्तुत करे, जहाँ पर इनका अधिनिर्णयन एक विशेष प्रक्रिया के अंतर्गत किया जाएगा। भुगतान करें/भुगतान किया/निरस्त ’की मुहरें लगे नोट 6. प्रत्येक शाखा के प्रभारी अधिकारी अर्थात् शाखा प्रबंधक और प्रत्येक शाखा की लेखा अथवा नकदी विंग के प्रभारी अधिकारी, भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 2009 के अनुसार बदलने के लिए निर्दिष्ट शाखा में प्राप्त नोटों का अधिनिर्णयन करने के लिए ‘निर्धारित अधिकारी’ के रूप में कार्य करेंगे। कटे-फटे नोटों के अधिनिर्णयन करने के बाद निर्धारित अधिकारी के लिए यह आवश्यक है वह नोटों पर दिनांक वाली मुहर लगाकर अपने आद्यक्षर करते हुए "भुगतान करें"/"भुगतान किया"/"निरस्त" का आदेश रिकॉर्ड करें । "भुगतान करें "/"निरस्त" आदेश वाली मुहरों पर बैंक और संबंधित शाखा का नाम भी होना चाहिए। ऐसे कटे-फटे नोट जिन पर भारतीय रिज़र्व बैंक के किसी भी निर्गम कार्यालय अथवा किसी बैंक शाखा की "भुगतान करे ं"/"भुगतान किया"/या "निरस्त" की मुहर लगी हो तो ऐसे नोटों को दुबारा किसी भी बैंक शाखा में भुगतान के लिए प्रस्तुत किए जाने पर, भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 2009 के नियम 6(2) के अंतर्गत भुगतान करने से मना कर दिया जाए और प्रस्तुतकर्ता को सूचित कर दिया जाए कि ऐसे विकृत नोट (नोटो ं) का मूल्य नहीं दिया जा सकता क्योंकि इनका मूल्य पहले ही दिया जा चुका है, और भुगतान के प्रमाण-स्वरूप इन/ इस पर "भुगतान करें"/"भुगतान किया" की मुहरें लगी हुई हैं। सभी बैंक शाखाओं को यह हिदायत दी गई है कि वे "भुगतान करे"/"भुगतान किया" की मुहर लगे नोटों को जनता में दुबारा भूल से भी न जाने दें। शाखाएं अपने ग्राहकों को सावधान कर दें कि वे किसी भी अन्य बैंक या व्यक्ति से ऐसे नोट न लें ं। राजनैतिक नारा या संदेश आदि लिखे हुए नोट 7. यदि किसी नोट के एक सिरे से दूसरे सिरे तक कोई नारा अथवा राजनीतिक प्रकृति का संदेश लिखा हो तो यह विधिमान्य मुद्रा नहीं रह जाती और भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 1975 (1980 तक यथा संशोधित) के नियम 6 (3)(iii) के अंतर्गत ऐसे नोटों को निरस्त कर दिया जाएगा। इसी प्रकार विरूपित किए गए नोट भी भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 2009 के नियम 6 (3)(iii) के ंअंतर्गत निरस्त कर दिए जाए। जानबूझकर काटे गए नोट 8. यदि जानबूझकर काटे गए अथवा बेईमानी से फेर- बदल किये नोटों को विनिमय मूल्य पाने के लिये प्रस्तुत किया जाता है तो उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 2009 के नियम 6 (3)(iii) के अंतर्गत निरस्त कर दिया जाएगा। यद्यपि जानबूझकर काटे नोटों की कोई ठीक-ठीक परिभाषा निर्धारित करना संभव नहीं है, तथापि ऐसे नोटों को ध्यान से देखने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि यह कार्य जानबूझकर धोखा देने के उद्देश्य से किया गया है, क्यों कि ऐसे नोटों को जिस प्रकार से काटा/विरूपित किया जाता है उसमें नोटों के आकार/गायब हुए टुकड़ों में एकरूपता देखने को मिलती है अर्थात ये नोट किसी खास जगह पर ही विकृत होते हैं, खासकर जब नोट बड़ी मात्रा में प्रस्तुत किये जाते हैं । ऐसे मामलों में प्रस्तुतकर्ता का नाम, प्रस्तुत किए गए नोटों की संख्या और मूल्यवर्ग आदि विवरण, भारतीय रिज़र्व बैंक के निर्गम विभाग के उप महाप्रबंधक /महाप्रबंधक, जिनके अधिकार क्षेत्र में शाखा आती है, को रिपोर्ट किये जायें। बड़ी मात्रा में ऐसे नोट प्रस्तुत किए जाने की स्थिति में मामले की सूचना स्थानीय पुलिस को भी दे दी जाये । शाखाओं को यह भी सुनिश्चित करना चाहिये कि नोट बदलने की यह सुविधा कहीं निजी मुद्रा परिवर्तकें /दोषपूर्ण नोटों के व्यवसायियों तक ही सीमित न रह जाए। प्रशिक्षण 9. हमारे निर्गम कार्यालय, निर्दिष्ट बैंक शाखाओं के "निर्धारित अधिकारियों" के लिए प्राथमिकता के आधार पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करते हैं। चूँकि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य निर्धारित अधिकारियों को दोषपूर्ण नोटों के अधिनिर्णयन की प्रक्रिया की जानकारी देना तथा उनमें आत्मविश्वास पैदा करना हैं, अत:यह अनिवार्य है कि संबंधित शाखाओं के निर्धारित अधिकारियों को ऐसे कार्यक्रम में नामित किया जाए । नोटिस बोर्ड लगाना 10. सभी निर्दिष्ट बैंक शाखाओं से अपेक्षित है कि वे अपनी शाखाओं में आसानी से दिखाई देने वाले स्थान पर वहाँ पर नोट विनिमय सुविधा उपलब्ध है आशय का नोटिस बोर्ड लगाएं जिस पर लिखा होना चाहिए कि " यहाँ पर दोषपूर्ण नोट बदले एवं स्वीकार किये जाते हैं "। बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी सभी निर्दिष्ट शाखाएँ नोट एवं सिक्कों के विनिमय की सेवाएं प्रदान कर रही है और निर्दिष्ट शाखाओं की जानकारी सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की जा रही हैं। शाखओंध की यह भी सुनिश्चित करना चाहिये कि नोट बदलने की यह सुविधा कहीं निजी मुद्रा परिवर्तकें / दोषपूर्ण नोटों के व्यवसायियों तक ही सीमित न रह जाए । निर्दिष्ट शाखाओं के स्तर पर अधिनिर्णीत नोटों का निपटान 11. निर्दिष्ट बैंक शाखाओं द्वारा अधिनिर्णीत नोटों की लेखा परीक्षा के सम्बन्ध में पूर्ण मूल्य प्रदत्त नोटों को गंदे नोटों के अगले प्रेषण के साथ पूर्व - निर्दिष्ट प्रक्रिया के अनुसार निर्गम कार्यालय को भेज दिया जाए । आधा मूल्य भुगतान किए गए तथा निरस्त नोट जो कि निर्दिष्ट बैंक वाली शाखा के अपने नकदी शेष में रखे हैं , जब भी आवश्यक या तो पूर्ण मूल्य प्रदत्त नोटों के प्रेषण के साथ अलग से पैकिंग करके या फिर पंजीकृत एवं बीमाकृत डाक द्वारा भेज दिये जायें। पूर्ण मूल्य प्रदत्त नोटों को निर्गम कार्यालय द्वारा तिजोरी प्रेषण माना जायेगा जबकि आधा मूल्य प्रदत्त तथा निरस्त नोट, अधिनिर्णयन हेतु प्रस्तुत किए गये नोट माने जायेंगे तथा तद्नुसार उनका प्रसंस्करण किया जायेगा। सभी निर्दिष्ट बैंक शाखाओं द्वारा अधिनिर्णीत किए गए नोट की मासिक विवरणी, रिजर्व बैंक के निर्गम विभाग को भेजी जाएगी। भारतीय रिजर्व बैंक और वाणिज्य बैंकों के बीच करार 12(i) बैंक शाखाओं को नोटों के बदले सिक्कों को स्वीकृत करना होगा। (ii) वे जनसाधारण से बिना किसी रूकावट के सभी मूल्यवर्ग के सिक्के स्वीकार करें और उनके मूल्य का नो टों में भुगतान करें। (iii) सिक्कों की भारी मात्रा में प्राप्ति को ध्यान में रखते हुए वे या तो उन्हें तौल कर लें या फिर सिकके गिनने वाली मशीनों का प्रयोग करे ं । आहरित सिक्के 13 (i) यह ध्यान रखते हुए कि एल्युमिनियम के 5पैसे, 10 पैसे, 20 पैसे , एल्युमिनियम-काँसे के 10 पैसे, स्टेनलेस स्टील के 10 पैसे, क्युप्रो- निकेल के 25 पैसे,ध 50 पैसे और एक रुपये मूल्यवर्ग के सिक्के चलन से निकाल कर टकसालों को भेजे जा रहे हैं , अत: ग्राहकों से अनुरोध किया जाये, परंतु दबाव न डाला जाये, कि वे काउन्टर पर प्रस्तुत करते समय इन्हें मूल्य-वर्गवार और धातुवार अलग-अलग थैलियों में तथा 100 - 100 सिक्कों की थैलियों में भरकर लायें । प्रचलन में चल रहे स्टेनलेस स्टील के 25 पैसे, 50 पैसे, और एक रुपये के एवं क्युप्रो-निकेल के दो रुपये और पाँ च रुपये के सिक्कों के लिए भी यही प्रणाली अपनायी जाये वजन में बहुत अधिक अंतर होने पर गिनने वाली मशीनों का प्रयोग किया जायें। (ii) शाखाओं में सिक्कों को रखने की समस्या के निराकरण हेतु एलम्युनियम के 5 पैसे, 10 पैसे, 20 पैसे , एलम्युनियम -कांस्य के 10 पैसे के , स्टेनलेस स्टील के 10 पैसे और क्युप्रो - निकेल के 25 पैसे,ध50 पैसे और एक रुपये सिक्के संबंधित बैंक की निर्दिष्ट शाखाओं (अथवा अन्य बैंकों की संपर्क शाखाओं) के माध्यम से प्रर्ालित कार्य-पध्दति के अनुसार पूर्व सूर्ानिंा के साथ भारत सरकार की हैदराबाद. कोलकाता तथा मुंबई स्थित टकसालों को भेा दिये ाायें । स्टेनलेस स्टील के 25 पैसे, 50 पैसे और एक रुपये के सिक्के तथा क्युप्रो-निकेल के 2 रुपये और 5 रुपये के सिक्के वापिस चलन में डाल दिये जायें । यदि इन सिक्कों की मांग में कमी के कारण सिक्कों का स्टॉक धारण क्षमता से अधिक हो जाए तो सर्किल के निर्गम कार्यालय से सिक्कों के प्रेषण हेतु संपर्क किया जाये । क्युप्रो - निकेल के 2 रूपये के सिक्कों को आम जनता को जारी न किया जाएं बल्कि उन्हें अगले अनुदेशों तक निर्दिष्ट शाखाओं में रखा जाएं । निगरानी एव नियंत्रण 14 (i) बैंकों के क्षेत्रीय प्रबंधक /आंचलिक प्रबंधक, बैंक शाखाओं का आकस्मिक दौरा करें और इस संबंध में अपनेप्रधान कार्यालय को अनुपालन की स्थिति से अवगत करायें जो कि इन रिपोर्ट्स की समीक्षा करेंगे तथा जहाँ जरूरी होगा, तत्परता से सुधारात्मक कार्रवाई करेंगे। 14 (ii) इस संबंध में किसी अनुदेश का अनुपालन न करना भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशों की अवहेलना/उल्लंघन माना जायेगा। अनुबंध मास्टर परिपत्र
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