रिज़र्व बैंक ने हेवलेट-पैकार्ड फाइनेंशियल सर्विसेज (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक ने हेवलेट-पैकार्ड फाइनेंशियल सर्विसेज (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया
3 अगस्त 2021 रिज़र्व बैंक ने हेवलेट-पैकार्ड फाइनेंशियल सर्विसेज (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने 03 अगस्त 2021 के एक आदेश द्वारा, हेवलेट-पैकार्ड फाइनेंशियल सर्विसेज (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड, बेंगलुरु (कंपनी) पर "ऋण सूचना कंपनियों (सीआईसी) की सदस्यता" पर दिनांक 15 जनवरी 2015 के आरबीआई निदेश डीबीआर.सं.सीआईडी.बीसी.59/20.16.056/2014-15' और "क्रेडिट सूचना कंपनियों और अन्य नियामक उपायों को क्रेडिट जानकारी प्रस्तुत करने के लिए डेटा प्रारूप" पर दिनांक 27 जून 2014 के आरबीआई निदेश बैंपविवि.सं.सीआईडी.बीसी.127/20.16.056/2013-14 के साथ पठित ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण गैर-जमा लेने वाली कंपनी और जमा लेने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016' में निहित आरबीआई द्वारा जारी निदेशों के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए ₹6 लाख (केवल छह लाख रुपये) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 58 बी की उप-धारा (5) के खंड (एए) के साथ पठित धारा 58 जी की उप-धारा (1) के खंड (बी) के प्रावधानों और क्रेडिट सूचना कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 23 की उप-धारा (4) के साथ पठित धारा 25 की उप-धारा (1) के खंड (iii) के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए रिज़र्व बैंक द्वारा पूर्वोक्त निदेशों का पालन करने में कंपनी की विफलता को ध्यान में रखते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्त कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2019 को वित्तीय स्थिति के संदर्भ में हेवलेट-पैकार्ड फाइनेंशियल सर्विसेज (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड के सांविधिक निरीक्षण और, अन्य बातों के साथ-साथ पता चला कि (i) सीआरआईएलसी को क्रेडिट जानकारी प्रस्तुत करने और (ii) सीआईसी को क्रेडिट डेटा प्रस्तुत करने के सांविधिक निदेशों का अनुपालन नहीं किया गया। उक्त के आधार पर, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया था कि वे कारण बताएं कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों का अनुपालन नहीं करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर कंपनी के उत्तर, वैयक्तिक सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण और उनके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि उपरोक्त रिज़र्व बैंक निदेशों के अननुपालन के आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/632 |
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