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भारतीय रिज़र्व बैंक ने सिटीबैंक एन.ए. पर मौद्रिक दंड लगाया

29 मई 2020

भारतीय रिज़र्व बैंक ने सिटीबैंक एन.ए. पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) की धारा 10 (1) (बी) (ii) का उल्लंघन करने और अन्य बैंकों से ऋण सुविधाएं प्राप्त करने के बारे में ग्राहकों से घोषणा प्राप्त करने, गैर-घटक उधारकर्ताओं को गैर-निधि आधारित सुविधाओं को मंजूरी देने, सीआरआईएलसी डेटाबेस में उपलब्ध डेटा का सत्यापन करने और चालू खाता खोलते समय उधार देने वाले बैंकों से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) प्राप्त करने और जोखिम मूल्यांकन निष्कर्षों का अनुपालन प्रस्तुत करने संबंधी रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के गैर अनुपालन के लिए सिटीबैंक एन.ए. (बैंक) पर 8 जनवरी 2020 के आदेश द्वारा 4 करोड़ (केवल 4 करोड़ रुपये) का मौद्रिक दंड लगाया है।

यह दंड रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों और अधिनियम के उक्त प्रावधानों के अनुपालन में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए अधिनियम की धारा 46 (4) (i) के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2017 और 31 मार्च 2018 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में बैंक द्वारा भारत में किये गए परिचालनों के सांविधिक निरीक्षण और इस संबंध में जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट (आरएआर) से अन्य बातों के साथ-साथ पता चला कि बैंक द्वारा अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन और रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का अननुपालन किया जा रहा है । उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया था जिसमें उससे यह पूछा गया था कि वह कारण बताएं कि अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन और रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का अननुपालन करने हेतु बैंक पर मौद्रिक दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण तथा अतिरिक्त प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन और रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के अननुपालन संबंधी आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2019-2020/2426

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