रिज़र्व बैंक राजभाषा शील्ड, 1999-2000 - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक राजभाषा शील्ड, 1999-2000
रिज़र्व बैंक राजभाषा शील्ड, 1999-2000
पुरस्कार वितरण
6 अगस्त 2001
‘यह सच है कि बैंकिंग कारोबार हमारा प्रथम कर्त्तव्य है, लेकिन, किसी भी प्रकार के कारोबार में भाषा की जरूरत तो होती ही है। कुछ कारणों से हमारा अधिकांश कार्य अभी भी अंग्रेजी में हो रहा है, हालांकि जनता का काम जनता की ही भाषा में करने की जरूरत है। ऐसा करना ग्राहक सेवा का अभिन्न अंग है। इस दिशा में कई स्तरों पर प्रयास हो रहे हैं लेकिन वरिष्ठतम स्तर पर अभी बहुत कुछ करना बाकी है।’ उक्त विचार भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर डॉ. विमल जालान ने भारतीय रिज़र्व बैंक में उपस्थित सरकारी क्षेत्र के बैंकों/वित्तीय संस्थाओं के प्रतिनिधियों को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए व्यक्त किये। डाँ. जालान आज रिज़र्व बैंक के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित रिज़र्व बैंक शील्ड, द्विभाषी तथा हिंदी गृह पत्रिका प्रतियोगिता तथा अंतर बैंक हिंदी निबंध पुरस्कार वितरण समारोह के अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
गवर्नर डॉ. जालान ने आगे कहा कि सरकार के आदेशानुसार राजभाषा हिंदी की समीक्षा केवल उसकी बैठकों तक सीमित न रखी जाए, बल्कि प्रशासनिक प्रधान की प्रत्येक बैठक में नियमित रूप से हिंदी की प्रगति पर चर्चा की जाए और इसे एजेंडा की एक स्थायी मद के रूप में शामिल किया जाए। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राजभाषा के रूप में हिंदी का प्रयोग बढ़ाने में बैंक स्वयं पहल करेंगे और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे।
समारोह की अध्यक्षता रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर श्री वेपा कामेसम ने की। सरकारी क्षेत्र के बैंकों/वित्तीय संस्थाओं के वरिष्ठ कार्यपालक तथा रिज़र्व बैंक के अन्य कार्यपालक एवं वरिष्ठ अधिकारी भी समारोह में उपस्थित थे। इस अवसर पर रिज़र्व बैंक द्वारा आयोजित अंतर-बैंक हिंदी निबंध प्रतियोगिता के विजेताओं को भी पुरस्कार वितरित किये गये।
उप गवर्नर श्री वेपा कामेसम ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि हर स्वतंत्र देश की अपनी एक भाषा होती है। उस भाषा में प्रशासन, न्यायालय आदि का काम किया जाता है। ज्यादातर देशों में इन कामों के लिए एक ही भाषा का इस्तेमाल किया जाता है। उनका मानना था कि सरकार की भाषा और जनता की भाषा एक होनी चाहिए। जनता जिस भाषा को समझती है, उसी भाषा में सरकार का कामकाज होना चाहिए। इस देश की ज्यादातर जनता हिंदी बोलती है, समझती है। हिंदी किसी निश्चित प्रदेश की भाषा नहीं है। उन्होंने अपील की कि इस संबंध में सरकार की नीति का पालन किया जाये और लक्ष्य प्राप्त करने के प्रयास किये जायें।
इससे पहले श्री एस. एल. परमार, कार्यपालक निदेशक ने गवर्नर, उप गवर्नर एवं बैंकों/वित्तीय संस्थाओं के प्रतिनिधियों का स्वागत किया।
श्री जी. के. शर्मा, मुख्य महाप्रबंधक, प्रशासन और कार्मिक प्रबंध विभाग ने आमंत्रितों के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन भारतीय रिज़र्व बैंक के राजभाषा विभाग के महाप्रबंधक (प्रभारी अधिकारी) डॉ. श्रीनिवास द्विवेदी ने किया।
विजेता बैंकों/वित्तीय संस्थाओं की सूची तथा निबंध प्रतियोगिता के विजेताओं के नामों की सूची संलग्न है।
I. रिज़र्व बैंक राजभाषा शील्ड प्रतियोगिता 1999-2000 के परिणाम
‘क’ क्षेत्र |
प्रदत्त स्थान
ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स
प्रथम
इलाहाबाद बैंक
द्वितीय
केनरा बैंक
तृतीय
बैंक ऑफ बड़ौदा
चतुर्थ
पंजाब नैशनल बैंक
चतुथ
बैंक ऑफ इंडिया
चतुर्थ
‘ख’ क्षेत्र | प्रदत्त स्थान |
इलाहाबाद बैंक | प्रथम |
बैंक ऑफ बड़ौदा | द्वितीय |
बैंक ऑफ महाराष्ट्र | तृतीय |
केनरा बैंक | चतुर्थ |
बैंक ऑफ इंडिया | चतुथ |
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया | चतुर्थ |
‘ग’ क्षेत्र | प्रदत्त स्थान |
देना बैंक | प्रथम |
ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स | द्वितीय |
इलाहाबाद बैंक | तृतीय |
बैंक ऑफ बड़ौदा | चतुर्थ |
केनरा बैंक | चतुर्थ |
बैंक ऑफ इंडिया | चतुर्थ |
सूरज प्रकाश
प्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2001-2002/156
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