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निर्यात ऋण वितरण और बैंक सेवाओं के साथ निर्यातकों के संतुष्टि स्तर के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अपनायी जानेवाली क्रियाविधियों के सरलीकरण का सर्वेक्षण

निर्यात ऋण वितरण और बैंक सेवाओं के साथ निर्यातकों के संतुष्टि स्तर के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अपनायी जानेवाली क्रियाविधियों के सरलीकरण का सर्वेक्षण

19 जुलाई 2001

निर्यात वृद्धि से जुड़े राष्ट्रीय महत्त्व को देखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक, निर्यात ऋण के त्वरित वितरण की आवश्यकता के बारे में बैंकों को समझाता रहा है। इस परिप्रेक्ष्य में बैंक ने 28 फरवरी 1999 को निर्यात ऋण वितरण की क्रियाविधियां सरल बनाने के लिए बैंकों को विस्तृत दिशानिर्देश जारी किये थे। साथ ही निर्यातकों, विशेषत: गैर-महानगरीय केंद्रों पर स्थित निर्यातकों से क्रियाविधियों के सरलीकरण पर सुझाव आमंत्रित किये गये थे। प्राप्त सुझावों के आधार पर, निर्यात ऋण वितरण में और सुधार लाने संबंधी उपाय बैंकों को सूचित किये गये थे।

निर्यातों में वृद्धि की सर्वोच्च आवश्यकता तथा निर्यात ऋण के वितरण में बाधाएं, यदि कोई हों, दूर करने के लिए गवर्नर महोदय ने 19 अप्रैल 2001 को जारी वर्ष 2001-2002 की मौद्रिक और ऋण नीति में यह घोषित किया था कि एक स्वतंत्र बाहरी एजेन्सी की सहायता से एक सर्वेक्षण किया जायेगा ताकि निर्यात ऋण वितरण की क्रियाविधियों के सरलीकरण तथा बैंक सेवाओं के साथ निर्यातकों के संतुष्टि स्तर के बारे में फीडबैक मिल सके।

उपर्युक्त निर्णय के अनुसार राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण का कार्य नैशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकॉनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर), नई दिल्ली को सौंपा गया है। एनसीएईआर ने सर्वेक्षण का प्रारंभिक कार्य शुरू कर दिया है और वह निर्यातकों और प्रमुख निर्यात केंद्रों के आधार स्तर के बैंक कार्यकर्ताओं को उनकी राय/अभिमत प्राप्त करने के लिए संपर्क करेंगे।

भारतीय रिज़र्व बैंक निर्यातकों, निर्यातकों के संगठन और विभिन्न बैंकों के कार्यकर्ताओं से अनुरोध करता है कि वे एनसीएईआर के प्रतिनिधियों को सर्वेक्षण अबाध बनाने और अपने स्वतंत्र और खुले विचार उन्हें अवगत कराने के लिए पूर्ण सहयोग दें, ताकि सर्वेक्षण के निष्कर्ष निर्यातकों के लिए ऋण वितरण प्रणाली में सुधार लाने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक को सहायता मिल सके।

पी. वी. सदानंदन
सहायक प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2001-2002/80

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