अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिटेल डायरेक्ट योजना
नामांकन से संबंधित प्रश्न
देशी जमा
II. अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) की जमाराशियाँ
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
जी. अंतिम उपयोग
उत्तर: नहीं, इसके लिए अनुमति नहीं है।
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
B. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
कुछ उपयोगी परिभाषाएँ
उत्तर: विदेशी सहायक कंपनी: एक भारतीय इकाई को विदेशी सहायक कंपनी कहा जाता है यदि एक अनिवासी निवेशक के पास 50% से अधिक वोटिंग पावर/इक्विटी पूंजी है या जहां एक अनिवासी निवेशक और उसकी अनुषंगी (ओं) ने एक भारतीय उद्यम की वोटिंग पावर/इक्विटी पूंजी के 50% से अधिक का संयुक्त स्वामित्व किया है।
विदेशी सहयोगी: एक भारतीय इकाई को विदेशी सहयोगी कहा जाता है यदि अनिवासी निवेशक के पास एक भारतीय उद्यम की वोटिंग पावर/इक्विटी पूंजी का कम से कम 10% और 50% से अधिक नहीं है या जहां अनिवासी निवेशक और उसकी सहायक कंपनी के पास एक भारतीय उद्यम की वोटिंग पावर/इक्विटी पूंजी का कम से कम 10% लेकिन 50% से अधिक न हो।
विशेष प्रयोजन माध्यम: एक विशेष प्रयोजन माध्यम (एसपीवी) संकीर्ण, विशिष्ट या अस्थायी उद्देश्यों को पूरा करने के लिए बनाई गई एक कानूनी इकाई (आमतौर पर किसी प्रकार की सीमित कंपनी या कभी-कभी, एक सीमित भागीदारी) है। एसपीवी के पास बहुत कम या कोई रोजगार नहीं है, या संचालन, या उस क्षेत्राधिकार में भौतिक उपस्थिति है जिसमें वे अपने मूल उद्यमों द्वारा बनाए जाते हैं, जो आमतौर पर अन्य न्यायालयों (अर्थव्यवस्थाओं) में स्थित होते हैं। वे अक्सर पूंजी जुटाने या संपत्ति और देनदारियों को रखने के लिए उपकरणों के रूप में उपयोग किए जाते हैं और आमतौर पर महत्वपूर्ण उत्पादन नहीं करते हैं।
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
जबकि प्राथमिक नीलामी आमतौर पर सप्ताह के निर्दिष्ट दिनों पर आयोजित की जाती है जैसा कि नीचे दी गई तालिका में दिया गया है, ये दिन छुट्टियों या अन्य कारणों के कारण अलग हो सकते हैं। भारत सरकार की दिनांकित प्रतिभूतियों और राजकीय स्वर्ण बांड के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर छमाही सूचक कैलेंडर प्रकाशित किए जाते हैं जबकि त्रैमासिक सूचक कैलेंडर ट्रेजरी बिल और राज्य विकास ऋणों के लिए प्रकाशित किए जाते हैं। विवरण के लिए निम्न लिंक पर जाएँ /en/web/rbi
| क्र.सं. | सरकारी प्रतिभूति | प्राथमिक नीलामी समान्यता की जाती है |
| 1 | सरकारी ट्रेजरी बिल (टी-बिल) | बुधवार |
| 2 | सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियाँ (दिनांकित जी-सेक) | शुक्रवार |
| 3 | राज्य विकास ऋण (एसडीएल) | मंगलवार |
| 4 | राजकीय स्वर्ण बॉन्ड (एसजीबी) | आरबीआई अपनी प्रेस विज्ञप्ति में साप्ताहिक विंडो की घोषणा करता है। |
देशी जमा
III. अग्रिम
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
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उल्लेखनीय है कि खज़ाना बिल की शेष परिपक्वता समयावधि 50 दिन की है (91-41)।
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: यदि भारतीय कंपनी द्वारा प्रतिफल की प्राप्ति की तारीख से साठ दिन के भीतर पूंजीगत लिखत का निर्गम नहीं किया जाता है तो इस प्रकार से प्राप्त राशि को साठ दिन पूर्ण होने की तारीख से पंद्रह दिन के भीतर संबंधित व्यक्ति को बैंकिंग चैनल के माध्यम से बाहरी विप्रेषण द्वारा अथवा उसके एनआरई/ एफ़सीएनआर(बी) खाते, जैसी स्थिति हो, में जमा कर के वापस किया जाना चाहिए।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Classification of NBFCs into sub-groups
भारतीय मुद्रा
ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ
एमजी शृंखला 2005 तथा एमजी (नई) शृंखला के बैंकनोटों में निम्नलिखित सुरक्षा विशेषताएँ हैं :
i. सुरक्षा धागा : ₹10, ₹20 तथा ₹50 मूल्यवर्ग के बैंकनोट के अग्रभाग में गूँथा हुआ (विंडोड) तथा पश्चभाग में पूर्णत: अंत:स्थापित चांदी के रंग का सुरक्षा धागा होता है, जिसकी पहचान मशीन से की जा सकती है । यह धागा पराबैंगनी प्रकाश में दोनों ओर से पीले रंग में प्रतिदीप्त होता है । जब इसे प्रकाश के सामने लाया जाता है तो यह धागा पीछे से एक निरंतर रेखा के रूप में प्रतीत होता है । ₹100 तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग के बैंकनोटों में विभिन्न कोणों से देखने पर हरे से नीले रंग में परिवर्तित होने वाला गूँथा हुआ (विंडोड) रंग परिवर्तन सुरक्षा धागा होता है, जिसकी पहचान मशीन से की जा सकती है । पश्चभाग में यह पीले रंग में प्रतिदीप्त होता है तथा पराबैंगनी प्रकाश में अग्रभाग में अक्षर प्रतिदीप्त होते हैं ।
ii. उत्कीर्ण (इंटेग्लियो) मुद्रण : ₹100 तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग पर महात्मा गांधी का चित्र, रिज़र्व बैंक की मुहर, गारंटी तथा वचन खंड, अशोक स्तंभ का प्रतीक, भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर तथा दृष्टिबाधितों के लिए पहचान चिह्न उत्कीर्ण (इंटेग्लियो) रूप में मुद्रित होते हैं ।
iii. आर-पार मिलान (सी थ्रू रजिस्टर) : नोट के बायीं ओर, प्रत्येक मूल्यवर्ग अंक का एक हिस्सा अग्रभाग (सामने) तथा दूसरा हिस्सा पश्चभाग में मुद्रित होता है । इसे प्रकाश के सामने रखकर देखे जाने पर पीठ से पीठ लगाकर (बैक टू बैक रजिस्ट्रेशन) यह अंक सटीक ढंग से पूरा होता है ।
iv. वाटरमार्क तथा इलैक्ट्रोटाइप वाटरमार्क : बैंकनोटों में वाटरमार्क विंडो में प्रकाश तथा छाया रंजित (शेड) प्रभाव और बहु-दिशात्मक रेखाओं के साथ महात्मा गांधी का चित्र होता है । प्रत्येक मूल्यवर्ग के नोट में वाटरमार्क विंडो में मूल्यवर्ग के अंक को दर्शाने वाला इलैक्ट्रोटाइप मार्क भी प्रदर्शित होता है, जिसे प्रकाश के सामने रखकर बेहतर तरीके से देखा जा सकता है ।
v. रंग-परिवर्तक स्याही : ₹200, ₹500 तथा ₹2000 के बैंकनोटों पर 200, 500 एवं 2000 के अंक रंग-परिवर्तक स्याही में मुद्रित होते हैं । जब बैंकनोटों को सीधा (फ्लैट) रखा जाता है तो इन अंकों का रंग हरा प्रतीत होता है लेकिन जब इनको किसी कोण पर रखा जाता है तो यह नीले में परिवर्तित हो जाएंगे।
vi. प्रतिदीप्ति (फ़्लोरोसेंस) : बैंकनोटों की अंक पट्टिका (नंबर पैनल) प्रतिदीप्त (फ़्लोरोसेंट) स्याही से मुद्रित होते हैं । बैंकनोट में दोहरे रंग के ऑप्टिकल फाइबर भी होते हैं । बैंकनोट को पराबैगनी लैंप के समक्ष रखकर इन दोनों को देखा जा सकता है ।
vii. अदृश्य प्रतिबिंब (लेटेंट इमेज) : एमजी-2005 शृंखला में ₹20 तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग के बैंकनोटों में, महात्मा गांधी के चित्र के आगे (दायीं ओर) एक लंबवत पट्टे (बैंड) में एक अदृश्य प्रतिबिंब होती है जो मामलानुसार अंकित मूल्य को दर्शाती है । यह अंकित मूल्य को बैंकनोट को क्षैतिज रूप में रखकर उसके ऊपर प्रकाश डाले जाने पर ही दिखाई देता है, अन्यथा यह विशेषता केवल लंबवत पट्टे (बैंड) के रूप में ही प्रदर्शित होती है । एमजी (नई) शृंखला के बैंक नोटों में ₹100 तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग के नोटों में अदृश्य प्रतिबिंब विद्यमान है ।
viii. सूक्ष्म अक्षरांकन (माइक्रो लेटरिंग) : यह विशेषता बैंकनोट में विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शित होता है तथा इसे आवर्धक लैंस के साथ बेहतर ढंग से देखा जा सकता है।
ix. 2015 से प्रारम्भ की गई अतिरिक्त विशेषताएँ
- अंकन का नया ढंग
बैंकनोट की दोनों अंक पट्टियों (नंबर पैनल) में अंकों का आकार बाएँ से दाएँ बढ़ते क्रम में है, जबकि पहले तीन वर्ण सह अंकीय प्रतीकों (अल्फान्यूमेरिक कैरेक्टर) (पूर्व में लगने वाले) का आकार स्थिर होगा ।
- कोणीय ब्लीड रेखाएँ तथा पहचान चिह्नों के आकार में वृद्धि
बैंकनोटों में कोणीय ब्लीड रेखाओं को समाविष्ट किया गया - ₹100 में 2 ब्लॉक में 4 रेखाएँ, ₹200 में बीच में 2 वृत्तों के साथ 4 कोणीय ब्लीड रेखाएँ हैं, ₹500 में 3 ब्लॉक में 5 रेखाएँ, ₹2000 में 7 रेखाएँ । इसके अतिरिक्त, ₹100 तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग में पहचान चिह्न के आकार में 50 प्रतिशत की वृद्धि की गई है ।
भारतीय बैंकनोटों में विद्यमान उक्त सुरक्षा विशेषताओं के बारे में मूल्यवर्ग-वार जानकारी हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in >>प्रेस प्रकाशनी पर भी उपलब्ध है । वैकल्पिक रूप से, यह सूचना इस लिंक में भी उपलब्ध है : /en/web/rbi/-/notifications/master-circular-detection-and-impounding-of-counterfeit-notes-11610
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: सीआईसी को एनबीएफसी के लिए प्रमुख व्यावसायिक मानदंडों को पूरा करने की आवश्यकता नहीं है।
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
जी. अंतिम उपयोग
उत्तर: रुपये में मूल्यवर्गीकृत ईसीबी के विदेशी मुद्रा में मूल्यवर्गीकृत ईसीबी से पुनर्वित्तपोषण की अनुमति नहीं है।
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
B. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
कुछ उपयोगी परिभाषाएँ
उत्तर: सहभागी वरीयता शेयर वे शेयर होते हैं जिनके पास निम्नलिखित में से एक या अधिक अधिकार होते हैं:
(अ) इक्विटी शेयरधारकों को लाभांश का भुगतान करने के बाद अधिशेष लाभ में से लाभांश प्राप्त करने के लिए।
(ब) कंपनी के समापन के मामले में पूरी पूंजी का भुगतान करने के बाद अधिशेष संपत्ति में हिस्सेदारी रखने के लिए।
दूसरी ओर गैर-सहभागी वरीयता शेयर वे शेयर हैं जिनके पास उपरोक्त में से कोई भी अधिकार नहीं है।
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
27.1. किसी बाण्ड की समयावधि (जिसे मैकाले समयावधि भी कहा जात है) वर्तमान कीमत के रूप में प्रारंभिक निवेश की वसूली में लगने वाले समय को नापने का पैमाना है । सरल शब्दों में समयावधि का तात्पर्य किसी बाण्ड के ब्रेक इवेन पर पहूंचने में लगने वाली चुकौती समयावधि होती है अर्थात् किसी बाण्ड द्वारा अपना खरीद मूल्य अदा करने में लगने वाला समय होता है । समयावधि को वर्षों की संख्या के रूप में निरूपित किया जाता है । समयावधि निकालने के लिए अपनायी जाने वाली क्रमिक प्रक्रिया नीचे बॉक्स IV में दी गयी है ।
बॉक्स IV
समयावधि के लिए गणना करना
सर्वप्रथम - प्रत्येक समयावधि के लिए भविष्य के प्रत्येक नकद प्रवाह को इसकी तत्संबंधी वर्तमान कीमत से घटाना होगा । चूंकि कूपन प्रत्येक छह माह की समयावधि में दिए जाते हैं अत: एक चक्र छह माह के बराबर होगा और दो वर्ष की परिपक्वता वाले बाण्ड में 4 चक्र होंगे ।
दूसरे - भविष्य के नकद प्रवाहों की वर्तमान कीमतों को उनकी संगत समयावधियों (इन्हें भार कहा जाता है) से गुणा करना होगा । अर्थात्, पहले कूपन की वर्तमान कीमत (पीवी) को 1 से गुणा करना होगा और दूसरे कूपन की पीवी को 2 से और इसी प्रकार आगे भी ।
तीसरे - अभी नकद प्रवाहों की उक्त भारित पीवी (वर्तमान कीमतो) को जोड़ा जाता है और प्राप्त जोड़ को बाण्ड की वर्तमान कीमत (पहले चरण में दर्शायी गयी वर्तमान कीमतों को जोड़) से भाग दिया जाता है । परिणामी कीमत चक्रों की संख्या में समयावधि होती है ।चूंकि एक चक्र छह माह के बराबर होता है अत: वर्षो की संख्या में समयावधि प्राप्त करने के लिए इसे दो से भाग दिया जाता है । यह वह समयावधि होती है जिसके भीतर, ऐसी आशा की जाती है कि बाण्ड अपनी मूल कीमत लौटा देगा, यदि इसे परिपक्वता तक रखा जाए ।
उदाहरण -
10% कूपन दर पर 2 वर्ष की परिपक्वता वाला बाण्ड लेने पर और जिसकी वर्तमान कीमत 103/- रु. है, उसका नकद प्रवाह निम्नानुसार होगा (मौजूदा 2 वर्ष की प्रतिफल दर 9% पर -
समय समयावधि (वर्ष में) | 1 | 2 | 3 | 4 | जोड़ |
अंतर्वाह (करोड़ रु. में) | 5 | 5 | 5 | 105 |
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9% के प्रतिफल पर पीवी | 4.78 | 4.58 | 4.38 | 88.05 | 101.79 |
पीवी* समय | 4.78 | 9.16 | 13.14 | 352.20 | 379.28 |
चक्रों की संख्या में समयावधि = 379.28/101.79=3.73 | |||||
वर्षों में समयावधि = 3.73/2=1.86 वर्ष | |||||
औपचारिक रूप में, समयावधि का तात्पर्य है -
(क) किसी बाण्ड के नकद प्रवाहों की भारित औसत समयावधि (इस समय से भुगतान तक की समयावधि) या संपृक्त नकद प्रवाहों की कोई श्रृंखला ।
(ख) बाण्ड की कूपन दर जितनी उच्चतर होगा, समयावधि उतनी ही कम होग (यदि बाण्ड का टर्म एक समान रखा जाये तो) ।
(ग) समयावधि बाण्ड की समग्र परिपक्वता से हमेशा कम या उसके समतुल्य होती है ।
(घ) केवल शून्य कूपन (कूपन रहित बाण्ड) बाण्ड की समयावधि उसकी परिपक्वता के बराबर होती है ।
(ङ) बाण्ड की कीमत ब्याज दर (अर्थात् प्रतिफल के प्रति संवेदनशील है ।
समयावधि, ब्याज दर परिचालनों (अर्थात् प्रतिफल) के प्रति बाण्ड की बाजार कीमत की संवेदनशीलता नापने के रूप में प्राथमिक रूप से उपयोगी होती है । यह प्रतिफल में आए किसी परिवर्तन हेतु कीमत में आए प्रतिशत परिवर्तन के लगभग समतुल्य होती है । उदाहरण के लिए ब्याज दरों में हुए छोटे परिवर्तनों के लिए समयावधि लगभग वह प्रतिशत है जिससे बाण्ड की कीमत बाजार ब्याज दर में 1 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि के लिए गिर जाएगी । अत: ब्याज दरों में 1% वार्षिक की वृद्धि होने पर 7 वर्ष की समयवावधि वाले 15 वर्षीय बाण्ड की कीमत लगभग 7% गिर जाएगी । दूसरे अर्थों में ब्याज दरों के संबंध में समयावधि बाण्ड की कीमत का लचीलापन है ।
संशोधित समयावधि क्या है ?
27.2. संशोधित समयावधि मैकाले समयावधि का संशोधित रूप है । यह ब्याज दर (प्रतिफल) में हुए एक प्रतिशत परिवर्तन के प्रति प्रतिभूति की कीमत में आए अंतर को प्रदर्शित करती है । इसका सूत्र इस प्रकार है -
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उदाहरण -
बॉक्स IV में दिए गए उदाहरण में, संशोधित समयावधि = 1.86/(1+0.09/2)=1.78
पीवी 01 क्या है ?
27.3. पीवी 01 प्रतिफल में आए एक आधार बिंदु (एक प्रतिशत बिंदु के एक सौवें भाग के समतुल्या) के परिवर्तन के कारण बाण्ड की कीमत में हुआ वास्तविक परिवर्तन दर्शाता है । यह ब्याज दर में हुए 1 आधार बिंदु (0.01%) के परिचालन के कारण कीमत पर पडने वाले वर्तमान प्रभाव को दर्शाता है । इसे अक्सर समयावधि (समय मापन) के बजाय मूल्य विकल्प के रूप में प्रयुक्त किया जाता है । पीवी 01 जितनी अधिक होगी उतार-चढ़ाव भी उतना ही अधिक होगा (प्रतिफल में परिवर्तन होने पर कीमत में संवेदनशीलता) ।
उदाहरण -
संशोधित समयावधि से (जो उदाहरण 27.2 में दिया गया है) हम यह जानते हैं कि प्रतिफल में 100 आधार बिंदुओं (1%) के परिवर्तन से प्रतिभूति की कीमत में 1.78 प्रतिशत का परिवर्तन होगा । कीमत के रूप में जो 1.78*(102/100)=1.81 रु. है ।
अत: पीवी 01=1.81/100=0.018 रु. होगी जो 1.8 पैसे है । इस प्रकार 1.78 वर्षों की संशोधित समयावधि वाले किसी बाण्ड का प्रतिफल 9% से 9.05% (5 आधार बिंदुओं) में परिवर्तित होता है तो बाण्ड की कीमत 102 रु. से 101.91 रु. में परिवर्तित होती है (9 पैसे की गिरावट अर्थात् 5 X 1.8 पैसे) ।
कन्वेक्सिटी क्या है ?
27.4. समयावधि के आधार पर प्रतिफल में परिवर्तन के लिए कीमत में परिवर्तन की गणना केवल कीमत में आए छोटे परिवर्तनों के लिए कारगर होती है । क्योंकि बाण्ड मूल्य और प्रतिफल के आपसी संबंध निश्चित रूप से सरल रेखीय नहीं हैं अर्थात् बाण्ड की कीमत में हुआ एक यूनिट का परिवर्तन प्रतिफल में हुए एक यूनिट परिवर्तन के समानुपातिक नहीं है । कीमत में हुए भारी उतार-चढ़ाव का संबंध वक्ररेखीय है अर्थात् बाण्ड की कीमत में परिवर्तन, प्रतिफल में हुए परिवर्तन के समानुपात की तुलना में या तो कम होगा अथवा अधिक होगा । इसे कान्वेक्सिटी नामक विचार से नापा जाता है जो बाण्ड के प्रतिफल में प्रति यूनिट परिवर्तन के लिए बाण्ड की समयावधि में परिवर्तन होता है ।
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: किसी निवासी क्रेता तथा अनिवासी विक्रेता अथवा इसके विपरीत, के बीच शेयरों के अंतरण के मामले में क्रेता द्वारा अंतरण करार की तारीख से अठारह महीने से अनधिक अवधि के भीतर कुल प्रतिफल के पचीस प्रतिशत से अनधिक राशि का भुगतान आस्थगित आधार पर किया जा सकता है। आस्थगित राशि या तो हर्जाने अथवा एस्क्रो के स्वरूप की हो सकती है। सभी मामलों में मूल्यनिर्धारण दिशानिर्देशों का अनुपालन किया जाए।
देशी जमा
III. अग्रिम
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Time frame for compliance of regulations
भारतीय मुद्रा
ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ
ऊपर सूचीबद्ध सुरक्षा विशेषताओं के अतिरिक्त, एमजी शृंखला-2005 की शुरूआत के पश्चात जारी किए गए बैंकनोटों के पश्चभाग में मुद्रण वर्ष मुद्रित है जबकि 2005 से पहले की शृंखला में यह विद्यमान नहीं होता है।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: एक होल्डिंग कंपनी जो दिनांक 5 जनवरी 2011 की अधिसूचना संख्या डीएनबीएस (पीडी) 219/सीजीएम(यूएस)-2011 के पैरा 2 में निर्धारित सीआईसी के मानदंडों को पूरा नहीं करती है, को एनबीएफसी के रूप में पंजीकरण करने की आवश्यकता होगी। हालांकि, अगर ऐसी कंपनी सीआईसी-एनडी-एसआई के रूप में पंजीकरण करना चाहती है/सीआईसी के रूप में छूट प्राप्त करना चाहती है, तो उसे सीआईसी के रूप में अपने व्यवसाय को पुनर्रचित करने के लिए विशिष्ट अवधि के भीतर प्राप्त करने योग्य कार्य योजना के साथ आरबीआई को आवेदन करना होगा। यदि वह ऐसा करने में सक्षम नहीं है, तो उसे एनबीएफसी की आवश्यकताओं और विवेकपूर्ण मानदंडों का पालन करने की आवश्यकता होगी।
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
जी. अंतिम उपयोग
उत्तर: हां। समुद्रपारीय निवेश संबंधी दिशानिर्देशों में अनुमत किए गए अनुसार ईसीबी की आगम राशि को समुद्रपारीय निवेश के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
B. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
देशी जमा
III. अग्रिम
(i) क. टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की खरीद के लिए ऋण
ख. शेयरों और डिबेंचरों / बांडों की जमानत पर व्यक्तियों को ऋण
ग. प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र से इतर अन्य वैयक्तिक ऋण
घ. बैंक के पास रखी देशी / अनिवासी /विदेशी मुद्रा अनिवासी रुपया (बैंक) जमाराशियों की जमानत पर अग्रिम / ओवर ड्राफ्ट, बशर्ते उक्त जमाराशि (याँ) या तो उधारकर्ता / उधारकर्ताओं के अपने नाम (मों) पर हो /हों अथवा अन्य व्यक्ति के साथ संयुक्त रूप से उधारकर्ता के नामों पर हो /हों।
ड मध्यवर्ती एजेन्सियों (आवास संबंधी एजेन्सियों को छोड़कर)को दिया गया वित्त जो आगे अंतिम लाभार्थियों तथा निविष्टि आधार प्रदान करने वाली एजेन्सियों को उधार देती हैं।
च. अंतिम लाभार्थी को उधार देने के लिए आवास वित्त मध्यवर्ती एजेन्सियों को दिया गया वित्त
छ. बिलों की बट्टे पर भुनाई
ज. चयनात्मक ऋण नियंत्रण के अधीन पण्यों की जमानत पर ऋण /अग्रिम /नकदी ऋण/ ओवर ड्राफ्ट
| (ii) | मीयादी उधार देनेवाली संस्थाओं की ब्याज पुनर्वित्त पोषण योजनाओं में सहभागिता के अंतर्गत आनेवाले ऋण | बैंक आधारभूत मूल उधार दर के संदर्भ के बगैर पुनर्वित्त पोषण करनेवाली एजेन्सियों की शर्तों के अनुसार दरें लगाने के लिए स्वंतत्र हैं। |
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
28.1.
सहकारी बैंकों के लिए "परिपक्वता तक धारणीय" के तहत वर्गीकृत निवेशों के बाजार मूल्यों को बही में अंकित करना आवश्यक नहीं है और उन्हें अधिग्रहण लागत पर अग्रेषित करना चाहिए जब तक कि यह अंकित मूल्य से अधिक न हो यदि ऐसा है तो प्रीमियम को परिपक्वता की शेष समयावधि के लिए परिशोधित करना चाहिए । सहकारी बैंकों की बहियों में "बिक्री के लिए उपलब्ध" श्रेणी में व्यक्तिगत क्रिप के बाजार मूल्यों को वर्ष के अंत में या और कम अंतरालों पर अंकित करना चाहिए । "व्यापार के लिए धारणीय" श्रेणी में उपलब्ध व्यक्तिगत क्रिप के बाजार मूल्यों को माह के अंत में या और कम अंतरालों पर बहियों में अंकित करना चाहिए । "बिक्री के लिए उपलब्ध" और "व्यापार के लिए उपलब्ध" श्रेणियों में व्यक्तिगत प्रतिभूतियों को बाजार मूल्यों पर बही में अंकित करने के बाद उनके बही मूल्यों के कोई परिवर्तन नहीं होगा ।
28.2 केंद्रीय सरकार की प्रतिभूतियों की कीमतों का निर्धारण निर्धारित आय मुद्रा बाजार और डेरिवेटिव्ज संघ (फमिडा) और भारतीय प्राथमिक व्यापारी संघ द्वारा संयुक्त रूप से फमिडा की वेबसाइट पर दी गई कीमतों/प्रतिफलों को ध्यान में रखकर ही करना चाहिए । केंद्रीय सरकारी की सभी प्रतिभूतियों की कीमत प्रतिदिन दी जाती है जबकि मूल्यांकन के लिए कीमतों और प्रतिफलों का वक्र प्रत्येक माह के अंत में दिया जाता है । उदाहरण के लिए केंद्रीय सरकार की एक प्रतिभूति 7.46% 2007 का फमिडा मूल्यांकन 31 मार्च 2009 को 101.69 रु. था । यदि कोई सहकारी बैंक इसी प्रतिभूति को "बिक्री के लिए उपलब्ध" या "व्यापार के लिए उपलब्ध" श्रेणी के तहत 102 रु. के बही मूल्य पर रख रहा था तो बैंक के लिए यह अपेक्षित होगा कि प्रत्येक 100 रु. के अंकित मूल्य के लिए 0.31 रु. का बही में मूल्यहास नोट करे । यदि कुल धारिता 1 करोड़ रु. की थी तो अंकित किया जाने वाला मुल मूल्यहास 31,000/- रु. होगा ।
28.3 राज्य सरकार और अन्य प्रतिभूतियों का मूल्यांन केंद्रीय सरकार की प्रतिभूति की तदनुरूपी शेष परिपक्वता समयावधि के प्रतिफल पर कीमत-लागत अंतर को जोड़कर करना चाहिए । इस समय राज्य सरकार की प्रतिभूतियों का मूल्यांकन करते समय 25 आधार अंकों (0.25%) का कीमत-लागत अंतर जोड़ा जाता है । जबकि विशेष प्रतिभूतियों (तेल बाण्ड, उर्वरक बाण्ड, एसबीआई बाण्डों आदि) के कार्पोरेट बाण्डों के लिए फमिडा द्वारा दिया गया कीमत-लागत अंतर जोड़ा जाता है । राज्य सरकार के एक बाण्ड को ध्यान में रखते हुए मूल्यांकन का एक उदाहरण नीचे बॉक्स V में दिया गया है ।
प्रतिभूतियों का मूल्यांकन
राज्य सरकार के बाण्डों के लिए मूल्याकन
प्रतिभूति - 7.32% एपीएसडीएल 2014
जारी करने की तारीख - 10 दिसंबर 2004
परिपक्वता तिथि - 14 दिसंबर 2014
कूपन - 7.32%
मूल्यांकन की तारीख - 31 मार्च 2008
प्रक्रिया
उक्त बाण्ड के मूल्यांकन में निम्नलिखित स्तर शामिल हैं -
(1) मूल्यांकित बाण्ड की शेष परिपक्वता का पता लगाना
(2) उक्त शेष परिपक्वता के लिए केंद्रीय सरकार प्रतिभूति के प्रतिफल का पता लगाना
(3) प्रतिभूति के प्रतिफल का पता लगाने के लिए उक्त प्रतिफल में उचित कीमत-लागत अंतर जोड़ना
(4) उपर्युक्त प्राप्त प्रतिफल का प्रयोग करते हुए प्रतिभूति की कीमत की गणना करना
स्तर - 1
चूंकि मूल्यांकन 31 मार्च 2008 को किया जा रहा है अत: हमें इस तारीख से प्रतिभूति की परिपक्वता का तारीख अर्थात् 10 दिसंबर 2014 तक के बीच के वर्षों की संख्या का पता लगाना है ताकि प्रतिभूति की शेष परिपक्वता का पता लगाया जा सके । इसे मानवीय रूप से वर्ष, महीने और दिन की गणना कर निकाला जा सकता है । तथापि, इसके लिए का आसान तरीका एमएस एक्सेल में "इअरप्रैक" ("Yearfrac") प्रणाली से निकाला जा सकता है जिसमें दो तारीखे और आधार प्रदान करना होता है (अधिक जानकारी के लिए एक्सल फंक्शन पर अनुबंध 4 का संदर्भ लें) । इस प्रतिभूति के लिए, यह 6.69 वर्षों की अवशेष परिपक्वता देता है ।
स्तर - 2
6.69 वर्षों के लिए केंद्रीय सरकारी प्रतिभूति प्रतिफल का पता लगाने के लिए हम 6 वर्ष और 7 वर्ष के बीच के प्रतिफलों को आपस में संबद्ध करेंगे, ये प्रतिफल फ्मिडा द्वारा दिए गये हैं । 31 मार्च 2008 की स्थिति के अनुसार, 6 और 7 वर्षों के लिए फ्मिडा द्वारा दिए गये प्रतिफल क्रमश: 7.73% और 7.77% हैं । निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग करते हुए 6.69 वर्षों के लिए प्रतिफल निकाला गया है ।
0.0773+ड (6.69-6)X(0.0777-0.0773) = 0.077577=7.7577% या 7.76%
(7-6)
यहा हम 0.69 वर्षों के लिए प्रतिफल के अंतर का पता लगाकर और उसे 6 वर्षों के लिए लागू प्रतिफल में जोडते हैं ताकि 6.69 वर्षों के लिए प्रतिफल का पता लगाया जा सकें । यह भी नोट करना हैं कि प्रतिफल का उपयोग दशमलव रूप में करना है (उदाहरण के लिए 7.73 प्रतिशत, 7.73/100 के बराबर है जिसका अर्थ है 0.0773)
स्तर - 3
विशिष्ठ अवशेष परिपक्वता के लिए केंद्रीय सरकार प्रतिफल का पता लगाने के बाद हमें उचित स्प्रेड को लोड करना है ताकि मूल्यांकन की जाने वाली प्रतिभूति के लिए प्रतिफल प्राप्त किया जा सके । चूंकि प्रतिभूति राज्य सरकार की प्रतिभूति है अत: लागू स्प्रेड 25 आधार बिंदु है (0.25 प्रतिशत) । अत: प्रतिफल 7.76%+0.25%=8.01% होगा ।
स्तर - 4
प्रतिभूति की कीमत गणना एमएस एक्सेल "कीमत" ("PRICE") का उपयोग करके की जाएगी (विवरण के लिए कृपया अनुबंध 4 देखें) । यहां हम मूल्यांकन की तारीख 31 मार्च 2008 डालेंगे, परिपक्वता की तारीख 10 दिसंबर 2014 है, दर 7.32% है जो की कूपन दर है, प्रतिफल के रूप में 8.01% है और परिपक्वता के रूप में 100 जो की अंकित मूल्य है, कूपन भुगतान की फ्रीक्वेन्सी के रूप में 2 और आधार के रूप में 4 उपयोग करेंगे (कृपया अनुबंध 4 में दिया गया उदाहरण 3 देखें) । सूत्र के द्वारा हमें 96.47 रुपये की कीमत प्राप्त होती है जो प्रतिभूति की कीमत है ।
यदि बैंक अपने पोर्टफाटलियों में 10 करोड रुपये की इस प्रकार की प्रतिभूति भारीत करता है तो कुल कीमत 10*(96.47/100)=9.647 करोड रुपये होगी ।
28.4. कार्पोरेट बाण्डों के मामले में, मूल्यांकन की प्रक्रिया उपर्युक्त बॉक्स 5 में दिए गए उदाहरण के समान ही है । इसमें केवल केंद्रीय सरकार की प्रतिभूति पर आने वाले तदनुरूपी प्रतिफल में जोड़े जाने वाले स्प्रेड का भेद राज्य सरकार की प्रतिभूतियों के लिए निश्चित 25 आधार अंको के बजाय है जो समय-समय पर फमिडा द्वारा प्रकाशित स्प्रेड से अधिक होगी । फमिडा विभिन्न प्रकार की रेटिंग वाले कार्पोरेट बाण्डों के लिए स्प्रेड पर सूचना देता रहता है । बाण्ड का मूल्यांकन करते समय केंद्रीय सरकार की प्रतिभूति के तदनुरूपी प्रतिफल में उचित स्प्रेड जोड़ी जानी चाहिए और बाण्ड का मूल्यांकन मानक "कीमत" सूत्र का प्रयोग करते हुए करना चाहिए ।
उदाहरण के लिए, यह मानते हुए कि "एएए" रेटिंग के किसी कार्पोरेट बाण्ड की परिपक्वता उतनी ही है जितनी कि बॉक्स 5 में दिए गए राज्य सरकार के बाण्ड की, इस स्थिति में मूल्यांकन के लिए लागू प्रतिफल 7.73+2.09% (फमिडा द्वारा दिया गया स्प्रेड) होगा जो 9.82% है । बॉक्स 5 में दिए गए मानदंडों को ही लागू करते हुए बाण्ड की कीमत 87.92 रु. बैठती है ।
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: भुगतान की प्रत्येक शृंखला की प्राप्ति पर एडी बैंक में फॉर्म एफ़सी-टीआरएस भरना है। रिपोर्टिंग का दायित्व निवासी अंतरंकर्ता/ अंतरिती का होगा।
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
कुछ उपयोगी परिभाषाएँ
उत्तर: यदि भारतीय इकाई ने भारत में एफडीआई योजना के तहत अनिवासी संस्थाओं को शेयर जारी किए हैं तो यह एक एफडीआई है और इसे भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (देयता) के तहत रिपोर्ट किया जाना चाहिए।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Credit Rating
- The NBFCs in the category of equipment leasing and hire purchase finance companies having Rating of less than the Investment Grade as mentioned below are no longer entitled to accept fresh public deposits :
Name of rating agencies | Level of minimum investment |
EL/HP Cos. | LC/ICs |
CRISIL | A- (A MINUS) |
ICRA | A- (A MINUS) |
CARE | BBB (FD) |
DCR India | BBB- (BBB minus) |
The Loan and Investment Companies having Rating of less than `A are no longer entitled to accept fresh deposits.
It may be added that A- is not equivalent to A; AA- is not equivalent to AA and AAA- is not equivalent to AAA.
भारतीय मुद्रा
ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ
आंशिक दृष्टिबाधित व्यक्तियों द्वारा नोट की पहचान करने को सुगम बनाने के लिए महात्मा गांधी (नई) शृंखला के बैंकनोटों को चमकीला रंग-भेदी (शार्प कलर कॉन्ट्रास्ट स्कीम) बनाया गया है । दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लाभ के लिए ₹100 से अधिक मूल्यवर्ग में कोणीय ब्लीड रेखाएँ ₹100 में 2 ब्लॉक में 4 रेखाएँ, ₹200 में बीच में 2 वृत्तों के साथ 4 कोणीय ब्लीड रेखाएँ हैं, ₹500 में 3 ब्लॉक में 5 रेखाएँ, ₹2000 में 7 रेखाएँ) तथा पहचान चिन्ह हैं । प्रत्येक नोट के अग्रभाग में एक पहचान चिह्न होता है, जिसका मुद्रण उभारदार (इंटेग्लियो) होता है तथा यह अलग-अलग मूल्यवर्ग में अलग-अलग आकार का होता है । उदाहरण के लिए ₹2000 के लिए क्षैतिज आयात, ₹500 के लिए वृत्त, ₹200 के लिए उभरा हुआ एच (H) का पहचान चिह्न, ₹100 के लिए त्रिभुज । इसके अतिरिक्त, इन मूल्यवर्गों में अंकों को नोट के मध्य भाग में उभारदार मुद्रण प्रमुखता से किया गया है ।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: नहीं, चूंकि कंपनी एनबीएफसी के मुख्य व्यवसाय मानदंड (आस्ति-आय पैटर्न) को पूरा नहीं कर रही है, यानी इसकी कुल आस्ति का 50% से अधिक वित्तीय आस्ति होना चाहिए और इन आस्तियों से प्राप्त आय 50% से अधिक होनी चाहिए। सकल आय, आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 45 आईए के तहत एक एनबीएफसी के रूप में पंजीकृत होने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, जैसे ही यह एनबीएफसी के पात्रता मानदंडों को पूरा करता है और एनबीएफसी मानदंडों का अनुपालन करता है, वैसे ही इसे खुद को एनबीएफसी के रूप में पंजीकृत करना चाहिए।
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
जी. अंतिम उपयोग
उत्तर: ईसीबी के प्रयोजन के लिए आगे-उधार देने के कारोबार में लिप्त उधारकर्ताओं के लिए आगे-उधार देने को कार्यशील पूंजी नहीं समझा जाता है। इसके अतिरिक्त उधारकर्ताओं को इस संबंध में संबंधित क्षेत्र विशेष अथवा विवेकपूर्ण विनियामक द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
B. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
| क्र.सं. | सरकारी प्रतिभूति | न्यूनतम निवेश राशि/मात्रा (12 नवंबर 2021 को) |
| 1 | सरकारी ट्रेजरी बिल (टी-बिल) | ₹10,000 |
| 2 | सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियाँ (दिनांकित जी-सेक) | ₹10,000 |
| 3 | राज्य विकास ऋण (एसडीएल) | ₹10,000 |
| 4 | राजकीय स्वर्ण बॉन्ड (एसजीबी) | एक ग्राम स्वर्ण |
देशी जमा
III. अग्रिम
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
कुछ उपयोगी परिभाषाएँ
उत्तर: एफएलए रिटर्न के तहत गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के लिए इक्विटी पूंजी के बाजार मूल्य की गणना किसी देश के सीडीआईएस डेटा के संकलन के तहत आईएमएफ के दिशानिर्देशों के अनुसार बुक वैल्यू पर ओन फंड्स (ओएफवीबी) पद्धति का उपयोग करके की जाती है। इसकी गणना इस प्रकार की जाती है:
चालू वर्ष/पिछले वर्ष के लिए ओएफवीबी में अनिवासी द्वारा धारित इक्विटी पूंजी का बाजार मूल्य
= (चालू वर्ष/पिछले वर्ष के लिए कंपनी का निवल मूल्य) * (चालू वर्ष/पिछले वर्ष के लिए अनिवासी इक्विटी होल्डिंग %)
जहां, कंपनी की कुल संपत्ति
= (कंपनी की चुकता इक्विटी और सहभागी वरीयता शेयर पूंजी + आरक्षित और अधिशेष - संचित हानि)
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: डाउन स्ट्रीम निवेश का अर्थ है किसी भारतीय कंपनी जिसमें पूर्ण विदेशी निवेश है अथवा किसी निवेश माध्यम द्वारा किसी अन्य भारतीय संस्था के पूंजीगत लिखतों अथवा पूंजी, जैसी स्थिति हो में किया गया निवेश।
यदि निवेशक कंपनी में कुल विदेशी निवेश है तथा निवासी भारतीय नागरिकों के पास जिसका स्वामित्व तथा नियंत्रण नहीं है अथवा उसका स्वामित्व तथा नियंत्रण भारत के बाहर निवास करने वाले व्यक्तियों के पास है तो, निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी के लिए ऐसे निवेश “अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश” होंगे।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Credit Rating
भारतीय मुद्रा
ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ
मोबाइल एडेड नोट आइडेंटिफ़ायर (मणि) भारतीय बैंकनोट्स के मूल्यवर्ग की पहचान करने में दृष्टिबाधित व्यक्तियों की सहायता हेतु रिज़र्व बैंक द्वारा शुरू किया गया एक मोबाइल एप्लीकेशन है । इस नि:शुल्क एप्लीकेशन को एक बार इंस्टॉल करने के बाद इन्टरनेट की आवश्यकता नहीं होती है । यह एप्लीकेशन नोट के अग्र अथवा पश्च - भाग/हिस्से की जांच करके महात्मा गांधी शृंखला तथा महात्मा गांधी (नई) शृंखला के बैंक नोटों के मूल्यवर्ग की पहचान करने में सक्षम है । इससे प्रकाश की विभिन्न परिस्थितियों (सामान्य प्रकाश/दिन का प्रकाश/कम प्रकाश आदि) के अंतर्गत अलग-अलग कोणों से पकड़े गए आधे मुड़े हुए नोटों की पहचान भी की जा सकती है ।
नोट : यह मोबाइल एप्लीकेशन किसी नोट के असली अथवा जाली होने को प्रमाणित नहीं करता है ।
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: कंपनी को एक वर्ष की निर्धारित समयावधि के भीतर एक व्यवसाय योजना देते हुए आरबीआई को सीओआर के लिए आवेदन करना होगा जिसमें वह सीआईसी-एनडी-एसआई का दर्जा हासिल करेगी। यदि कंपनी ऐसा करने में असमर्थ है, तो छूट लागू नहीं होगी और कंपनी को एनबीएफसी पूंजी पर्याप्तता और एक्सपोजर मानदंडों का पालन करना होगा।
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
जी. अंतिम उपयोग
उत्तर: हां।
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
B. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
कुछ उपयोगी परिभाषाएँ
उत्तर: यदि भारतीय रिपोर्टिंग इकाई सूचीबद्ध है, तो संदर्भ अवधि अर्थात पिछले और चालू वर्ष के मार्च अंत में उनके समापन शेयर मूल्य का उपयोग अनिवासी इक्विटी निवेश के मूल्यांकन के लिए किया जाता है।
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
दिनांकित जी-सेक, टी-बिल और एसडीएल हेतु – निम्न सीमाएं लागू होती है यदि आपने प्राथमिक नीलामियों के माध्यम से इन प्रतिभूतियों को खरीदा है:
| क्र.सं. | सरकारी प्रतिभूति | अधिकतम निवेश राशि/मात्र (12 नवंबर 2021 को) |
| 1 | सरकारी ट्रेजरी बिल (टी-बिल) | सभी गैर-प्रतिस्पर्धी बोलियों का कुल आवंटन भारत सरकार द्वारा निर्दिष्ट अधिसूचित राशि के अंतर्गत निर्गम की कुल नाममात्र राशि के अधिकतम 5% या भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित किसी अन्य प्रतिशत तक सीमित होगा। |
| 2 | सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियाँ (दिनांकित जी-सेक) | ₹2 करोड़ (अंकित मूल्य) प्रति प्रतिभूति प्रति नीलामी |
| 3 | राज्य विकास ऋण (एसडीएल) | प्रति नीलामी में अधिसूचित राशि (अंकित मूल्य) का 1% |
राजकीय स्वर्ण बॉन्ड (एसजीबी) के लिए - एक व्यक्ति प्रति वित्तीय वर्ष 4 किलोग्राम से अधिक एसजीबी की सदस्यता नहीं ले सकता है। वार्षिक सीमा में सरकार द्वारा प्रारंभिक निर्गम दौरान विभिन्न किस्तों के तहत सब्सक्राइब किए गए बांड और द्वितीयक बाजार से खरीदे गए बांड शामिल होंगे।
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
देशी जमा
III. अग्रिम
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: नहीं।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Credit Rating
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