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अक्‍तूबर 14, 2008
जमा प्रमाण पत्रों (सीडी) की जमानत पर म्यूचुअल फंडों को ऋण देना तथा जमा प्रमाण पत्रों की वापस खरीद
आरबीआइ/2008-09/223आरबीआइ/2008-09/223 बैंपविवि. सं.बीपी.बीसी. 59/21.03.009/2008-09 14 अक्तूबर 2008 22 आश्विन 1930 (शक)सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और स्थानीय क्षेत्र बैंकों को छोड़कर) तथा अखिल भारतीय मीयादी ऋण और पुनर्वित्त प्रदान करनेवाली संस्थाएंमहोदयजमा प्रमाण पत्रों (सीडी) की जमानत पर म्यूचुअल फंडों को ऋण देना तथा जमा प्रमाण पत्रों की वापस खरीदकृपया जमा प्रमाण पत्र जारी करने से संबंधित दिशानिर्देशों पर 1 जुलाई 2008 के मास्टर परिपत्र सं. एफएमडी.
आरबीआइ/2008-09/223आरबीआइ/2008-09/223 बैंपविवि. सं.बीपी.बीसी. 59/21.03.009/2008-09 14 अक्तूबर 2008 22 आश्विन 1930 (शक)सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और स्थानीय क्षेत्र बैंकों को छोड़कर) तथा अखिल भारतीय मीयादी ऋण और पुनर्वित्त प्रदान करनेवाली संस्थाएंमहोदयजमा प्रमाण पत्रों (सीडी) की जमानत पर म्यूचुअल फंडों को ऋण देना तथा जमा प्रमाण पत्रों की वापस खरीदकृपया जमा प्रमाण पत्र जारी करने से संबंधित दिशानिर्देशों पर 1 जुलाई 2008 के मास्टर परिपत्र सं. एफएमडी.
अक्‍तूबर 13, 2008
बैंकों के तुलन पत्र में शामिल न होनेवाले एक्सपोज़र के संबंध में विवेकपूर्ण मानदंड
आरबीआइ/2008-09/218आरबीआइ/2008-09/218 बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 57/21.04.157/2008-09 13 अक्तूबर 2008 21 आश्विन 1930 (शक)सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (स्थानीय क्षेत्र बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)महोदयबैंकों के तुलन पत्र में शामिल न होनेवाले एक्सपोज़र के संबंध में विवेकपूर्ण मानदंडकृपया उपर्युक्त विषय पर 8 अगस्त 2008 का हमारा परिपत्र आरबीआइ/2008-09/125 बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 31/21.04.157/2008-09 देखें ।2. डेरिवेटिव लेनदेन के संबंध में अतिदेय भुगतानों की
आरबीआइ/2008-09/218आरबीआइ/2008-09/218 बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 57/21.04.157/2008-09 13 अक्तूबर 2008 21 आश्विन 1930 (शक)सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (स्थानीय क्षेत्र बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)महोदयबैंकों के तुलन पत्र में शामिल न होनेवाले एक्सपोज़र के संबंध में विवेकपूर्ण मानदंडकृपया उपर्युक्त विषय पर 8 अगस्त 2008 का हमारा परिपत्र आरबीआइ/2008-09/125 बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 31/21.04.157/2008-09 देखें ।2. डेरिवेटिव लेनदेन के संबंध में अतिदेय भुगतानों की
अक्‍तूबर 13, 2008
हिंदी सामग्री शीघ्र ही अद्यतन की जाएगी।
Guidelines on Exchange Traded Interest Rate Derivatives
RBI/2008-09/217 DBOD.BP.BC. No.56 /21.04.157/2008-09 October 13 , 2008The Chairman/ Chief Executive Officers All commercial Banks (excluding RRBs and LABs)Dear Sir,Guidelines on Exchange Traded Interest Rate Derivatives Please refer to the guidelines on Exchange-Traded Interest Rate Derivatives issued vide our circular IDMC.MSRD.4801/06.01.03 dated June 3, 2003. In terms of this circular, banks were permitted to transact in Interest Rate Futures (IRFs) for the purpose
RBI/2008-09/217 DBOD.BP.BC. No.56 /21.04.157/2008-09 October 13 , 2008The Chairman/ Chief Executive Officers All commercial Banks (excluding RRBs and LABs)Dear Sir,Guidelines on Exchange Traded Interest Rate Derivatives Please refer to the guidelines on Exchange-Traded Interest Rate Derivatives issued vide our circular IDMC.MSRD.4801/06.01.03 dated June 3, 2003. In terms of this circular, banks were permitted to transact in Interest Rate Futures (IRFs) for the purpose
अक्‍तूबर 13, 2008
(i)स्वीकृत ऋण सीमाओं के अंतर्गत ऋण का वितरण (ii)छोटे और मझौले उद्यमों (एसएमई) की बकाया राशि की पुनर्रचना करना
आरबीआइ/2008-09/219 बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 58/21.04.048/2008-09 13 अक्तूबर 2008 21 आश्विन 1930 (शक)सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों को छोड़कर)महोदय(i)स्वीकृत ऋण सीमाओं के अंतर्गत ऋण का वितरण (ii)छोटे और मझौले उद्यमों (एसएमई) की बकाया राशि की पुनर्रचना करनाहमारी जानकारी में यह बात आयी है कि देश के बाज़ारों में हाल में चलनिधि में कुछ कमी होने की स्थिति के कारण कुछ बैंक अपने ग्राहकों को स्वीकृत ऋण सीमा के अंतर्गत कार्यशील पू
आरबीआइ/2008-09/219 बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 58/21.04.048/2008-09 13 अक्तूबर 2008 21 आश्विन 1930 (शक)सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों को छोड़कर)महोदय(i)स्वीकृत ऋण सीमाओं के अंतर्गत ऋण का वितरण (ii)छोटे और मझौले उद्यमों (एसएमई) की बकाया राशि की पुनर्रचना करनाहमारी जानकारी में यह बात आयी है कि देश के बाज़ारों में हाल में चलनिधि में कुछ कमी होने की स्थिति के कारण कुछ बैंक अपने ग्राहकों को स्वीकृत ऋण सीमा के अंतर्गत कार्यशील पू
अक्‍तूबर 10, 2008
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 (1) - सीआरआर बनाए रखना
आरबीआइ / 2008-09/214आरबीआइ / 2008-09/214 संदर्भ : बैंपविवि. सं. आरईटी बीसी. 55/12.01.001/2008-09 10 अक्तूबर 2008 18 आश्विन 1930 (शक)सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)महोदयभारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 (1) - सीआरआर बनाए रखना कृपया उपर्युक्त विषय पर 6 अक्तूबर 2008 का हमारा परिपत्र बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 52/ 12.01.001/2008-2009 देखें, जिसके द्वारा 11 अक्तूबर 2008 से आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) में 50 आधार अंकों की कटौत
आरबीआइ / 2008-09/214आरबीआइ / 2008-09/214 संदर्भ : बैंपविवि. सं. आरईटी बीसी. 55/12.01.001/2008-09 10 अक्तूबर 2008 18 आश्विन 1930 (शक)सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)महोदयभारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 (1) - सीआरआर बनाए रखना कृपया उपर्युक्त विषय पर 6 अक्तूबर 2008 का हमारा परिपत्र बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 52/ 12.01.001/2008-2009 देखें, जिसके द्वारा 11 अक्तूबर 2008 से आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) में 50 आधार अंकों की कटौत
अक्‍तूबर 08, 2008
किसी बैंक द्वारा अन्य बैंकों या उनके समूह कंपनियों की इक्विटी में निवेश
आरबीआइ/2008-09/209 बैंपविवि. सं. पीएसबीडी. बीसी.53/16.13.100/2008-098 अक्तूबर 2008 16 आश्विन 1930 (शक)निजी क्षेत्र के सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों के मुख्य कार्यपालक अधिकारीमहोदयकिसी बैंक द्वारा अन्य बैंकों या उनके समूह कंपनियों की इक्विटी में निवेश1 जुलाई 2008 के हमारे मास्टर परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 2/21.01.002/2008-09 के पैराग्राफ 2.1.4(iii) में निहित पूंजी की परस्पर धारिता (क्रास-होल्ंडिग) की 5 प्रतिशत की सीमा के संबंध में वर्तमान अनुदेशों तथा शेयरों के आब
आरबीआइ/2008-09/209 बैंपविवि. सं. पीएसबीडी. बीसी.53/16.13.100/2008-098 अक्तूबर 2008 16 आश्विन 1930 (शक)निजी क्षेत्र के सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों के मुख्य कार्यपालक अधिकारीमहोदयकिसी बैंक द्वारा अन्य बैंकों या उनके समूह कंपनियों की इक्विटी में निवेश1 जुलाई 2008 के हमारे मास्टर परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 2/21.01.002/2008-09 के पैराग्राफ 2.1.4(iii) में निहित पूंजी की परस्पर धारिता (क्रास-होल्ंडिग) की 5 प्रतिशत की सीमा के संबंध में वर्तमान अनुदेशों तथा शेयरों के आब
अक्‍तूबर 06, 2008
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 (1) - सीआरआर बनाए रखना
आरबीआई/2008-09/203 संदर्भ : बैंपविवि. सं. आरईटी बीसी.52 /12.01.001/2008-09 6 अक्तूबर 2008 14 अश्विन 1930 (शक)सभी अनुसूचित वाणिज्य़ बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)महोदयभारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 (1) - सीआरआर बनाए रखना कृपया उपर्युक्त विषय पर 30 ज़ुलाई 2008 का हमारा परिपत्र बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 25 / 12.01.001/2008-2009 देखें। वैश्व्ाक तथा देशी गतिविधियों के परिप्रेक्ष्य में चलनिधि की वर्तमान स्थिति की समीक्षा करने पर, तथा ज्ौंसा कि उक्त
आरबीआई/2008-09/203 संदर्भ : बैंपविवि. सं. आरईटी बीसी.52 /12.01.001/2008-09 6 अक्तूबर 2008 14 अश्विन 1930 (शक)सभी अनुसूचित वाणिज्य़ बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)महोदयभारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 (1) - सीआरआर बनाए रखना कृपया उपर्युक्त विषय पर 30 ज़ुलाई 2008 का हमारा परिपत्र बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 25 / 12.01.001/2008-2009 देखें। वैश्व्ाक तथा देशी गतिविधियों के परिप्रेक्ष्य में चलनिधि की वर्तमान स्थिति की समीक्षा करने पर, तथा ज्ौंसा कि उक्त
सितंबर 29, 2008
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की दूसरी अनुसूची से ‘सेंचुरियन बैंक ऑफ पंजाब लिमिटेड’ का नाम हटाना
आरबीआइ/2008-2009 /199आरबीआइ/2008-2009/199 बैंपविवि. आरईटी. बीसी. सं. 50 /12.06.094/2008-0929 सितंबर 2008 7 आश्विन 1930 (शक)सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकमहोदयभारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की दूसरी अनुसूची से ‘सेंचुरियन बैंक ऑफ पंजाब लिमिटेड’ का नाम हटानाहम सूचित करते हैं कि 19 जुलाई 2008 को भारत के राजपत्र (भाग III - खंड 4) में प्रकाशित 16 जून 2008 की अधिसूचना बैंपविवि. सं. पीएसबीडी.17847/ 16.1.130/2007-08 के अनुसार "सेंचुरियन बैंक ऑफ पंजाब लिमिटेड" का नाम भारतीय रिज़र
आरबीआइ/2008-2009 /199आरबीआइ/2008-2009/199 बैंपविवि. आरईटी. बीसी. सं. 50 /12.06.094/2008-0929 सितंबर 2008 7 आश्विन 1930 (शक)सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकमहोदयभारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की दूसरी अनुसूची से ‘सेंचुरियन बैंक ऑफ पंजाब लिमिटेड’ का नाम हटानाहम सूचित करते हैं कि 19 जुलाई 2008 को भारत के राजपत्र (भाग III - खंड 4) में प्रकाशित 16 जून 2008 की अधिसूचना बैंपविवि. सं. पीएसबीडी.17847/ 16.1.130/2007-08 के अनुसार "सेंचुरियन बैंक ऑफ पंजाब लिमिटेड" का नाम भारतीय रिज़र
सितंबर 22, 2008
अस्थायी प्रावधानों के उपयोग से संबंधित विवेकपूर्ण मानदंड - कृषि ऋण छूट और ऋण राहत योजना, 2008
आरबीआइ 2008-09/189 बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 48/21.04.048/2008-09 22 सितंबर 2008 31 भाद्र 1930 (शक)अध्यक्ष /अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक /प्रबंध निदेशक /मुख्य कार्यपालक अधिकारी सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (स्थानीय क्षेत्र बैंक सहित) (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)महोदयअस्थायी प्रावधानों के उपयोग से संबंधित विवेकपूर्ण मानदंड - कृषि ऋण छूट और ऋण राहत योजना, 2008कृपया अग्रिमों के संबंध में आय-निर्धारण, आस्ति-वर्गीकरण और प्रावधान करने से संबंधित विवेकपूर्ण मानदंड पर 1 जुल
आरबीआइ 2008-09/189 बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 48/21.04.048/2008-09 22 सितंबर 2008 31 भाद्र 1930 (शक)अध्यक्ष /अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक /प्रबंध निदेशक /मुख्य कार्यपालक अधिकारी सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (स्थानीय क्षेत्र बैंक सहित) (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)महोदयअस्थायी प्रावधानों के उपयोग से संबंधित विवेकपूर्ण मानदंड - कृषि ऋण छूट और ऋण राहत योजना, 2008कृपया अग्रिमों के संबंध में आय-निर्धारण, आस्ति-वर्गीकरण और प्रावधान करने से संबंधित विवेकपूर्ण मानदंड पर 1 जुल
सितंबर 19, 2008
बैंक द्वारा फ्रीज़ किये गये खातों पर ब्याज की अदायगी
आरबीआइ/2008-09/ 186आरबीआइ/2008-09/186 बैंपविवि. सं. एलईजी. बीसी. 47 /09.07.005/2008-09सितंबर 19, 2008 भाद्र 28, 1930 (शक)सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)महोदयबैंक द्वारा फ्रीज़ किये गये खातों पर ब्याज की अदायगी सभी बैंक जानते हैं कि कभी-कभी प्रवर्तन प्राधिकारियों के आदेश के आधार पर उन्हें ग्राहकों के खातों को फ्रीज़ करना होता है।फ्रीज़ किये गये ऐसे खातों पर ब्याज की अदायगी के संबंध में एक मुद्दा उठाया गया है ।2. भारतीय बैंक संघ के साथ परा
आरबीआइ/2008-09/ 186आरबीआइ/2008-09/186 बैंपविवि. सं. एलईजी. बीसी. 47 /09.07.005/2008-09सितंबर 19, 2008 भाद्र 28, 1930 (शक)सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)महोदयबैंक द्वारा फ्रीज़ किये गये खातों पर ब्याज की अदायगी सभी बैंक जानते हैं कि कभी-कभी प्रवर्तन प्राधिकारियों के आदेश के आधार पर उन्हें ग्राहकों के खातों को फ्रीज़ करना होता है।फ्रीज़ किये गये ऐसे खातों पर ब्याज की अदायगी के संबंध में एक मुद्दा उठाया गया है ।2. भारतीय बैंक संघ के साथ परा

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